NEELAM GUPTA

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लेखनी कहानी -29-Jan-2022सुना आंगन


मम्मी इस गुडिया से मैं ही खेलूंगी, कितनी प्यारी गुड़िया है मम्मी, लेकिन मैं आपके पास मैं ही सोऊंगी, इस गुड़िया को मत सुलाना", यह कहते हुए उस गुड़िया की 4 साल बड़ी बहन (ईशु) बड़ी आतुरता से इस गुड़िया के गालों पर पप्पी लिए जा रही थी।और छोटी गुड़िया भी किलकारी मारकर हंस रही थी। दोनों बहनें एक दूसरे का साथ पाकर अत्यंत प्रसन्न थी।

थोड़ी देर बाद गुड़िया को भूख लगी तो उसकी बहन फटाफट से दूध की बोतल लेकर आई। और उसको पिलाने लगी ।ऐसा लग रहा था, सोनाली दुबारा माँ नहीं बनी, उसकी बेटी मां बन गई है।

कुछ दिनों बाद उसकी बुआ आई ।अभी कुछ महीनों पहले ही उसकी शादी हुई थी । वह अपनी भाभी से बोली ,"इनको तो बेटा पसंद है बेटियां तो बिल्कुल भी पसंद नहीं है" यह बात उसकी भाभी को बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी।जबकि सबसे पहले वह भी एक औरत हैं।

कैसा ताना दे रही हैं दीदी, बेटियां हैं तो मेरी है किसी और की नहीं है और हमारे हाथ में कुछ नहीं है भगवान ने हमें बच्चों की किलकारी से घर भर दिया हमारे लिये यही बहुत है।हम दोनों की इच्छा थी हमें दुसरा बच्चा चाहिए।इस मामले में तो सास ससुर ने भी कुछ नहीं कहा।

कुछ सालों बाद..

"लेकिन कहते हैं न, कभी ऊंचे बोल नहीं बोलना चाहिए ,ऊपर वाला सब सुन रहा है"। सोनाली की नंद को शादी को  3 से 4 साल हो गए 'लेकिन भगवान ने बच्चे की कोई उम्मीद नहीं दिखाई' खूब इलाज कराया ।लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ पैसा भी पानी की तरह बह रहा था अब उन्हें लड़का -लड़की होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था बस एक बच्चा चाहिए था जो उनके आंगन में खेले और उसकी किलकारी से उनका आँगन गूंज उठे।बस किसी तरह उनकी सूनी गोद भर जाए।

सोनाली के सास- ससुर ,अक्सर कहते ,कि हमें पता होता तो मैं अपनी छोटी पोती को ,अपनी बेटी को दे देते ।लेकिन सोनाली को अंदर ही अंदर बहुत तकलीफ हुई कि किस तरह से इस तरह की बात कर सकते हैं, इन्हें तो मेरी इस बेटी होने पर ऐतराज था .मैं उन्हें इस प्रकार दे सकती थी। मैं अपनी बेटियों के साथ बहुत खुश हूँ क्या हुआ जो मेरे बेटियाँ है। मेरा घर आँगन इनकी प्यारी बातों से चहकता रहता हैं।

भगवान सब देखता है। दिल में किसी के लिए कभी भी कड़वाहट नहीं रखना चाहिए। पता नहीं क्या स्थिति तुम्हारे सामने आए और तुमको सहनी पड़े।  क्योंकि कुछ भी हो सकता है ,समय की करवटों में क्या छुपा है ,कोई नहीं जान पाया है। इसलिए अपना मन साफ रखें और अपनी बोली से दूसरों को तकलीफ ना दे।


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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

30-Jan-2022 07:53 PM

बहुत बढ़िया

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Zakirhusain Abbas Chougule

30-Jan-2022 12:20 AM

Nice

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